ख्वाबों से धुआं उठ कर , कहता है किनारों को ,
हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को
बहुत खूबसूरत है,दिल को छू गई...
हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को
बहुत खूबसूरत है,दिल को छू गई...